ऋग्वेद (मंडल 10)
वि॒श्वत॑श्चक्षुरु॒त वि॒श्वतो॑मुखो वि॒श्वतो॑बाहुरु॒त वि॒श्वत॑स्पात् । सं बा॒हुभ्यां॒ धम॑ति॒ सं पत॑त्रै॒र्द्यावा॒भूमी॑ ज॒नय॑न्दे॒व एकः॑ ॥ (३)
विश्वकर्मा की आंखें, मुख, बाहु एवं चरण सब ओर फैले हुए हैं. उस देव ने अकेले ही बाहुओं और चरणों से भली-भांति गति करके द्यावा और भूमि को बनाया. (३)
Vishwakarma's eyes, mouth, arm and legs are spread all over. The God alone made the dyava and the land by moving well with his arms and steps. (3)