हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.85.28

मंडल 10 → सूक्त 85 → श्लोक 28 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 85
नी॒ल॒लो॒हि॒तं भ॑वति कृ॒त्यास॒क्तिर्व्य॑ज्यते । एध॑न्ते अस्या ज्ञा॒तयः॒ पति॑र्ब॒न्धेषु॑ बध्यते ॥ (२८)
पाप की देवी कृत्या क्रोध से लालपीले रंग की हो रही है. कृत्या को इस स्त्री पर संबद्ध करके छोड़ा जाता है. इसकी जाति के लोग बढ़ रहे हैं एवं इसका पति बंधन में है. (२८)
Karya, the goddess of sin, is getting red-coloured from anger. The act is left to associate with this woman. People of her jati are growing up and her husband is in bondage. (28)