हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 10.85.47

मंडल 10 → सूक्त 85 → श्लोक 47 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 10)

ऋग्वेद: | सूक्त: 85
सम॑ञ्जन्तु॒ विश्वे॑ दे॒वाः समापो॒ हृद॑यानि नौ । सं मा॑त॒रिश्वा॒ सं धा॒ता समु॒ देष्ट्री॑ दधातु नौ ॥ (४७)
हे विश्वदेव! तुम हमारे हृदयों को आपस में मिलाओ. वायु, धाता और सरस्वती हमें मिलावें. (४७)
O God of the World! You join our hearts together. We should meet Vayu, Dhata and Saraswati. (47)