हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.1.4

मंडल 2 → सूक्त 1 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 1
त्वम॑ग्ने॒ राजा॒ वरु॑णो धृ॒तव्र॑त॒स्त्वं मि॒त्रो भ॑वसि द॒स्म ईड्यः॑ । त्वम॑र्य॒मा सत्प॑ति॒र्यस्य॑ स॒म्भुजं॒ त्वमंशो॑ वि॒दथे॑ देव भाज॒युः ॥ (४)
हे अग्नि! तुम व्रतधारी राजा वरुण एवं स्तुतियोग्य शत्रुनाशक मित्र हो. तुम्हीं सज्जनों के रक्षक एवं व्यापक दान वाले अर्यमा तथा अंश अर्थात्‌ सूर्य हो. तुम सभी का यज्ञ सफल बनाओ. (४)
O agni! You are the fasting king Varuna and the praiseworthy enemy friend. You are the protector of the gentlemen and the widely donated aryama and ansh i.e. the sun. Make the sacrifice of all of you successful. (4)