हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.11.18

मंडल 2 → सूक्त 11 → श्लोक 18 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 11
धि॒ष्वा शवः॑ शूर॒ येन॑ वृ॒त्रम॒वाभि॑न॒द्दानु॑मौर्णवा॒भम् । अपा॑वृणो॒र्ज्योति॒रार्या॑य॒ नि स॑व्य॒तः सा॑दि॒ दस्यु॑रिन्द्र ॥ (१८)
हे शूर इंद्र! वह बल धारण करो, जिसके द्वारा तुमने दनुपुत्र वृत्र को मकड़ी के समान मसल डाला था. तुमने आर्यो के लिए प्रकाश का उद्घाटन किया एवं दस्यु तुम्हारे द्वारा सताए गए. (१८)
O Brave Indra! Assume the strength by which you crushed the son of Danuputra Vritra like a spider. You opened the light to the Aryans and the bandits were persecuted by you. (18)