हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.11.9

मंडल 2 → सूक्त 11 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 11
इन्द्रो॑ म॒हां सिन्धु॑मा॒शया॑नं माया॒विनं॑ वृ॒त्रम॑स्फुर॒न्निः । अरे॑जेतां॒ रोद॑सी भिया॒ने कनि॑क्रदतो॒ वृष्णो॑ अस्य॒ वज्रा॑त् ॥ (९)
बलवान्‌ इंद्र ने इधर-उधर जाने वाले मेघ में स्थित रहने वाले मायावी वृत्र को मार डाला था. जल बरसाने वाले इंद्र के शब्द करते हुए वज्र से डरे हुए धरती और आकाश कांप उठे थे. (९)
Balvan Indra had killed the elusive Vritra who lived in the megh that went around. The earth and sky trembled, afraid of the thunderbolt, while making the words of Indra, who rained water. (9)