हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.12.11

मंडल 2 → सूक्त 12 → श्लोक 11 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 12
यः शम्ब॑रं॒ पर्व॑तेषु क्षि॒यन्तं॑ चत्वारिं॒श्यां श॒रद्य॒न्ववि॑न्दत् । ओ॒जा॒यमा॑नं॒ यो अहिं॑ ज॒घान॒ दानुं॒ शया॑नं॒ स ज॑नास॒ इन्द्रः॑ ॥ (११)
हे मनुष्यो! जिसने पर्वतों में छिपे हुए शंबर असुर को चालीसवें वर्ष में प्राप्त किया था, जिसने बल प्रयोग करने वाले पर्वत में सोए हुए दनु नामक असुर को मारा था, वही इंदर हैं. (११)
O men! The one who received the Shambar Asura hidden in the mountains in the fortieth year, who killed the asura named Danu, who was sleeping in the mountain using force, is Inder. (11)