ऋग्वेद (मंडल 2)
यो ह॒त्वाहि॒मरि॑णात्स॒प्त सिन्धू॒न्यो गा उ॒दाज॑दप॒धा व॒लस्य॑ । यो अश्म॑नोर॒न्तर॒ग्निं ज॒जान॑ सं॒वृक्स॒मत्सु॒ स ज॑नास॒ इन्द्रः॑ ॥ (३)
हे मनुष्यो! जिसने वृत्र को मारकर सात नदियों को बहाया, जिसने बल असुर द्वारा रोकी गई गायों को स्वतंत्र किया, जिसने दो बादलों के घर्षण से बिजली रूपी अग्नि को उत्पन्न किया एवं जो युद्धस्थल में शत्रुओं का विनाश करता है, वही इंद्र हें. (३)
O men! The one who killed the Vritra and swept away the seven rivers, who liberated the cows stopped by the force asura, who produced the electric agni from the friction of the two clouds and who destroys the enemies in the battlefield is Indra. (3)