हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.14.1

मंडल 2 → सूक्त 14 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 14
अध्व॑र्यवो॒ भर॒तेन्द्रा॑य॒ सोम॒माम॑त्रेभिः सिञ्चता॒ मद्य॒मन्धः॑ । का॒मी हि वी॒रः सद॑मस्य पी॒तिं जु॒होत॒ वृष्णे॒ तदिदे॒ष व॑ष्टि ॥ (१)
हे अध्वर्युजनो! इंद्र के लिए सोम ले जाओ एवं चमसों के द्वारा मादक सोम को अन्ने में डालो. इस सोम को पीने के लिए वीर इंद्र सदा इच्छुक रहते हैं. तुम कामवर्धक इंद्र के निमित्त सोम दो, क्योंकि वे इसे चाहते हैं. (१)
O adhwaryujano! Take the mon to Indra and put the intoxicating mon in the anne through the spoons. Veer Indra is always inclined to drink this mon. You give the jeweler Mon for Indra's sake, because they want it. (1)