हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.15.8

मंडल 2 → सूक्त 15 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 15
भि॒नद्व॒लमङ्गि॑रोभिर्गृणा॒नो वि पर्व॑तस्य दृंहि॒तान्यै॑रत् । रि॒णग्रोधां॑सि कृ॒त्रिमा॑ण्येषां॒ सोम॑स्य॒ ता मद॒ इन्द्र॑श्चकार ॥ (८)
अंगिरावंशीय ऋषियों की स्तुति सुनकर इंद्र ने बल असुर को मार डाला एवं पर्वत के दृढ़ द्वार को खोल दिया था. इंद्र ने पर्वतों की कृत्रिम बाधा को समाप्त किया. यह सब सोमरस के मद में किया गया. (८)
On hearing the praises of the Angiravanshi sages, Indra killed the force asura and opened the fortified door of the mountain. Indra eliminated the artificial barrier of the mountains. All this was done in the item of somras. (8)