हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.16.7

मंडल 2 → सूक्त 16 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 16
प्र ते॒ नावं॒ न सम॑ने वच॒स्युवं॒ ब्रह्म॑णा यामि॒ सव॑नेषु॒ दाधृ॑षिः । कु॒विन्नो॑ अ॒स्य वच॑सो नि॒बोधि॑ष॒दिन्द्र॒मुत्सं॒ न वसु॑नः सिचामहे ॥ (७)
हे शत्रुनाशक इंद्र! जिस प्रकार सरिता में नाव रक्षा करती है, उसी प्रकार तुम स्तुति करने वाले की संग्राम में रक्षा करते हो. मैं यज्ञकाल में स्तुतियां पढ़ता हुआ तुम्हारे समीप जाता हूं. हमारे वचनों को समझो. तुझ दानशील को सोमरस से हम उसी प्रकार भिगो देंगे, जिस प्रकार तुम कुएं को जल से भर देते हो. (७)
O enemies Indra! Just as the boat protects in Sarita, so you protect the one who praises in the battle. I go to you reading the praises at the yagnakaal. Understand our words. We will soak your dansheel with somras in the same way as you fill the well with water. (7)