हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.16.8

मंडल 2 → सूक्त 16 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 16
पु॒रा स॑म्बा॒धाद॒भ्या व॑वृत्स्व नो धे॒नुर्न व॒त्सं यव॑सस्य पि॒प्युषी॑ । स॒कृत्सु ते॑ सुम॒तिभिः॑ शतक्रतो॒ सं पत्नी॑भि॒र्न वृष॑णो नसीमहि ॥ (८)
हे इंद्र! चास खाकर तृप्त हुई गाय जिस प्रकार अपने बछड़े की भूख को समाप्त करती है, उसी प्रकार तुम भी शत्रुबाधा सम्मुख आने से पूर्व ही हमारी रक्षा कर लो. जिस प्रकार पत्नियां युवक को घेरती हैं, उसी प्रकार हे शतक्रतु इंद्र! हम सुंदर स्तुतियों द्वारा तुम्हें घेरेंगे. (८)
O Indra! Just as a cow that is satisfied with chas eliminates the hunger of its calf, so also protect us before you come before the enemy comes before you come before you come. Just as wives surround the young man, so too do you, O Shatrattu Indra! We will surround you with beautiful praises. (8)