हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.17.1

मंडल 2 → सूक्त 17 → श्लोक 1 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 17
तद॑स्मै॒ नव्य॑मङ्गिर॒स्वद॑र्चत॒ शुष्मा॒ यद॑स्य प्र॒त्नथो॒दीर॑ते । विश्वा॒ यद्गो॒त्रा सह॑सा॒ परी॑वृता॒ मदे॒ सोम॑स्य दृंहि॒तान्यैर॑यत् ॥ (१)
हे स्तोताओ! इंद्र का शत्रुनाशक तेज प्राचीनकाल के समान उदित होता है, इसलिए तुम अत्यंत नवीन स्तुतियों द्वारा अंगिराओं के समान इंद्र की पूजा करो. इंद्र ने सोमरस के मद में वृत्र असुर द्वारा रोके हुए मेघों को स्वतंत्र कर दिया था. (१)
This stotao! Indra's anti-hostile radiance rises like ancient times, so you worship Indra like the Angiras with the most innovative praises. Indra had freed the clouds stopped by the Vrithra asuras in the head of Somras. (1)