ऋग्वेद (मंडल 2)
अ॒मा॒जूरि॑व पि॒त्रोः सचा॑ स॒ती स॑मा॒नादा सद॑स॒स्त्वामि॑ये॒ भग॑म् । कृ॒धि प्र॑के॒तमुप॑ मा॒स्या भ॑र द॒द्धि भा॒गं त॒न्वो॒३॒॑ येन॑ मा॒महः॑ ॥ (७)
हे इंद्र! मृत्युपर्यंत माता-पिता के साथ रहने की इच्छा वाली कन्या जिस प्रकार अपने पिता के कुल से भाग मांगती है, उसी प्रकार मैं भी तुमसे धन की याचना कर रहा हूं. उस धन को प्रकट करो, उसकी गणना करो एवं उसे पूर्ण करो. मेरे शरीर के भोग के लिए धन दो. जिससे मैं इन स्तोताओं का सत्कार कर सकूं. (७)
O Indra! Just as a girl who wants to be with her parents till death asks for a share from her father's family, I am also asking you for money. Reveal that wealth, calculate it, and complete it. Give money for the indulgence of my body. So that I can welcome these hymns. (7)