ऋग्वेद (मंडल 2)
आ विं॑श॒त्या त्रिं॒शता॑ याह्य॒र्वाङा च॑त्वारिं॒शता॒ हरि॑भिर्युजा॒नः । आ प॑ञ्चा॒शता॑ सु॒रथे॑भिरि॒न्द्रा ष॒ष्ट्या स॑प्त॒त्या सो॑म॒पेय॑म् ॥ (५)
हे इंद्र! सोमपान के लिए उत्तम गति वाले बीस, तीस, चालीस, पचास, साठ अथवा सत्तर घोड़ों द्वारा हमारे सामने आओ. (५)
O Indra! Come before us by twenty, thirty, forty, fifty, sixty or seventy horses of the best speed to the Sompan. (5)