ऋग्वेद (मंडल 2)
आशी॒त्या न॑व॒त्या या॑ह्य॒र्वाङा श॒तेन॒ हरि॑भिरु॒ह्यमा॑नः । अ॒यं हि ते॑ शु॒नहो॑त्रेषु॒ सोम॒ इन्द्र॑ त्वा॒या परि॑षिक्तो॒ मदा॑य ॥ (६)
हे इंद्र! अस्सी, नब्बे एवं सौ हरि नामक अश्चों द्वारा चलकर हमारे सामने आओ. शुनहोत्र नामक पात्रों में तुम्हारे आनंद के लिए सोम रखा हुआ है. (६)
O Indra! Walk before us by the ashes of eighty, ninety and hundred hari. In the characters called Shunhotra, som is kept for your enjoyment. (6)