हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.18.7

मंडल 2 → सूक्त 18 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 18
मम॒ ब्रह्मे॑न्द्र या॒ह्यच्छा॒ विश्वा॒ हरी॑ धु॒रि धि॑ष्वा॒ रथ॑स्य । पु॒रु॒त्रा हि वि॒हव्यो॑ ब॒भूथा॒स्मिञ्छू॑र॒ सव॑ने मादयस्व ॥ (७)
हे इंद्र! मेरी स्तुति को लक्षित करके आओ एवं अपने विश्वव्यापी हरि नामक घोड़ों को रथ के आगे जोड़ो. हे शूर! तुम्हें बहुत से यजमान बुलाते हैं. तुम इस यज्ञ में आकर प्रसन्न बनो. (७)
O Indra! Aim at my praise and add your worldwide horses named Hari to the front of the chariot. Oh, Shur! You are called by many hosts. Be happy to come to this yagna. (7)