हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.19.8

मंडल 2 → सूक्त 19 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 19
ए॒वा ते॑ गृत्सम॒दाः शू॑र॒ मन्मा॑व॒स्यवो॒ न व॒युना॑नि तक्षुः । ब्र॒ह्म॒ण्यन्त॑ इन्द्र ते॒ नवी॑य॒ इष॒मूर्जं॑ सुक्षि॒तिं सु॒म्नम॑श्युः ॥ (८)
हे शूर इंद्र! गृत्समद ऋषि उसी प्रकार तुम्हारी स्तुति करता है, जिस प्रकार जाने का इच्छुक पथिक रास्ता साफ करता है. हे नवीनतम इंद्र! तुम्हारी स्तुति के अभिलाषी हम अन्न, बल, सुख एवं उत्तम निवासस्थान प्राप्त करें. (८)
O Shur Indra! The sage Gritsamd praises you in the same way as he clears the path that he wants to go. O latest Indra! May we, who desire your praise, may we have food, strength, happiness and a good abode. (8)