ऋग्वेद (मंडल 2)
ग॒णानां॑ त्वा ग॒णप॑तिं हवामहे क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तमम् । ज्ये॒ष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पत॒ आ नः॑ शृ॒ण्वन्नू॒तिभिः॑ सीद॒ साद॑नम् ॥ (१)
हे ब्रह्मणस्पति! तुम देव-समूह में गणपति, कवियों में अप्रतिम कवि, प्रशंसनीय लोगों में सर्वोच्च एवं मंत्रों के स्वामी हो. हम तुम्हारा आह्वान करते हैं. तुम हमारी स्तुतियां सुनते हुए यज्ञशाला में बैठो और हमारी रक्षा करो. (१)
O Brahmaspati! You are Ganapati in the god-group, the unparalleled poet among the poets, the supreme among the admirable people and the masters of mantras. We call upon you. You sit in the yajnashala, listening to our praises and protect us. (1)
ऋग्वेद (मंडल 2)
दे॒वाश्चि॑त्ते असुर्य॒ प्रचे॑तसो॒ बृह॑स्पते य॒ज्ञियं॑ भा॒गमा॑नशुः । उ॒स्रा इ॑व॒ सूर्यो॒ ज्योति॑षा म॒हो विश्वे॑षा॒मिज्ज॑नि॒ता ब्रह्म॑णामसि ॥ (२)
हे असुरनाशक एवं उत्तम ज्ञानसंपन्न बृहस्पति! तुम्हारा यज्ञसंबंधी भाग देवों ने पाया है. तेज के कारण पूज्य सूर्य जिस प्रकार किरणें उत्पन्न करता है, उसी प्रकार तुम मंत्रों के जन्मदाता हो. (२)
O jupiter, who is asura- and the best of knowledge! Your sacrificial part has been found by the gods. Just as the revered sun produces rays because of the brightness, you are the giver of mantras. (2)
ऋग्वेद (मंडल 2)
आ वि॒बाध्या॑ परि॒राप॒स्तमां॑सि च॒ ज्योति॑ष्मन्तं॒ रथ॑मृ॒तस्य॑ तिष्ठसि । बृह॑स्पते भी॒मम॑मित्र॒दम्भ॑नं रक्षो॒हणं॑ गोत्र॒भिदं॑ स्व॒र्विद॑म् ॥ (३)
हे बृहस्पति! तुम चारों ओर के निंदकों और अंधकार को समाप्त करके प्रकाशयुक्त, यज्ञ प्राप्त कराने वाले, भयानक शत्रुओं का नाश करने वाले, राक्षसों के हंता, मेघ को भिन्न करने वाले एवं स्वर्ग प्राप्त कराने वाले रथ में बैठते हो. (३)
O Jupiter! You sit in a chariot that brings out the blasphemies and darkness around you, with light, of yajna, of destroying terrible enemies, of demons, of separating the cloud, and of attaining heaven. (3)
ऋग्वेद (मंडल 2)
सु॒नी॒तिभि॑र्नयसि॒ त्राय॑से॒ जनं॒ यस्तुभ्यं॒ दाशा॒न्न तमंहो॑ अश्नवत् । ब्र॒ह्म॒द्विष॒स्तप॑नो मन्यु॒मीर॑सि॒ बृह॑स्पते॒ महि॒ तत्ते॑ महित्व॒नम् ॥ (४)
हे बृहस्पति! जो तुम्हें हव्य अन्न देता है, उसे तुम न्यायपूर्ण मार्ग से ले जाकर पाप से बचाते हो. तुम्हारा यही महत्त्व है कि तुम यज्ञ का विरोध करने वाले को कष्ट देते एवं शत्रुओं की हिंसा करते हो. (४)
O Jupiter! The one who gives you the good food, you lead him from the just way and save you from sin. It is your importance that you hurt the one who opposes the yajna and do violence to the enemies. (4)
ऋग्वेद (मंडल 2)
न तमंहो॒ न दु॑रि॒तं कुत॑श्च॒न नारा॑तयस्तितिरु॒र्न द्व॑या॒विनः॑ । विश्वा॒ इद॑स्माद्ध्व॒रसो॒ वि बा॑धसे॒ यं सु॑गो॒पा रक्ष॑सि ब्रह्मणस्पते ॥ (५)
हे ब्रह्मणस्पति! तुम जिसकी रक्षा करते हो, उसे कोई पाप या दुःख बाधा नहीं पहुंचा सकता. हिंसक एवं ठग भी उसे दुःखी नहीं कर सकते. उसे नष्ट करने वाली सभी सेनाओं को तुम रोकते हो. (५)
O Brahmaspati! No sin or sorrow can hinder what you protect. Even violent and thugs can't make him sad. You stop all the armies that destroy him. (5)
ऋग्वेद (मंडल 2)
त्वं नो॑ गो॒पाः प॑थि॒कृद्वि॑चक्ष॒णस्तव॑ व्र॒ताय॑ म॒तिभि॑र्जरामहे । बृह॑स्पते॒ यो नो॑ अ॒भि ह्वरो॑ द॒धे स्वा तं म॑र्मर्तु दु॒च्छुना॒ हर॑स्वती ॥ (६)
हे बृहस्पति! तुम हमारे रक्षक, सच्चा मार्ग बताने वाले एवं कुशल हो. हम तुम्हारा यज्ञ पूर्ण करने के लिए स्तोत्रों द्वारा तुम्हारी प्रार्थना करते हैं. जो व्यक्ति हमारे प्रति कुटिलता रखता है, उसकी वेगशाली दुर्बुद्धि उसका प्राणनाश करे. (६)
O Jupiter! You are our protector, our true guide, and master. We pray to you through hymns to complete your yajna. Let the one who has a deviousness towards us, let his swift ill-will kill him. (6)
ऋग्वेद (मंडल 2)
उ॒त वा॒ यो नो॑ म॒र्चया॒दना॑गसोऽराती॒वा मर्तः॑ सानु॒को वृकः॑ । बृह॑स्पते॒ अप॒ तं व॑र्तया प॒थः सु॒गं नो॑ अ॒स्यै दे॒ववी॑तये कृधि ॥ (७)
हे बृहस्पति! जो उन्नत एवं धन छीनने वाला व्यक्ति हमारे सामने आकर हम निर्दोषों की हिंसा करता है, उसे उत्तम मार्ग से हटा दो तथा देवयज्ञ के लिए हमारा मार्ग सरल बनाओ. (७)
O Jupiter! Remove the noble and wealth-taking person who comes before us and commits violence against us innocents, remove him from the good way and make our path easier for the godly god. (7)
ऋग्वेद (मंडल 2)
त्रा॒तारं॑ त्वा त॒नूनां॑ हवाम॒हेऽव॑स्पर्तरधिव॒क्तार॑मस्म॒युम् । बृह॑स्पते देव॒निदो॒ नि ब॑र्हय॒ मा दु॒रेवा॒ उत्त॑रं सु॒म्नमुन्न॑शन् ॥ (८)
हे बृहस्पति! तुम सबको उपद्रवों से बचाने वाले एवं हमारे पुत्र-पौत्रादि का पालन करने वाले हो. तुम हमारे प्रति पक्षपातपूर्ण वचन बोलकर प्रसन्नता व्यक्त करते हो. हम तुम्हें बुलाते हैं. तुम देवनिंदकों का विनाश करो. दुर्बुद्धि के शत्रु उत्तम सुख प्राप्त करें. (८)
O Jupiter! You are the ones who save everyone from the disturbances and follow our sons and grandsons. You express your happiness by speaking biased words towards us. We call you. You destroy the deities. May the enemies of the evil sense get the best happiness. (8)