हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.23.10

मंडल 2 → सूक्त 23 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 23
त्वया॑ व॒यमु॑त्त॒मं धी॑महे॒ वयो॒ बृह॑स्पते॒ पप्रि॑णा॒ सस्नि॑ना यु॒जा । मा नो॑ दुः॒शंसो॑ अभिदि॒प्सुरी॑शत॒ प्र सु॒शंसा॑ म॒तिभि॑स्तारिषीमहि ॥ (१०)
हे कामपूरक एवं शुद्ध बृहस्पति! तुम्हारी सहायता से हम उत्तम अन्न प्राप्त करेंगे. हमें हराने की इच्छा रखने वाले हमारे स्वामी न बनें. हम उत्तम स्तुतियां करते हुए पुण्य लाभ करें एवं सबसे उत्कृष्ट बनें. (१०)
O full of work and pure Jupiter! With your help we will get the best food. Don't be our masters who wish to defeat us. Let us make virtuous gains by doing the best praises and be the most excellent. (10)