हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.24.12

मंडल 2 → सूक्त 24 → श्लोक 12 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 24
विश्वं॑ स॒त्यं म॑घवाना यु॒वोरिदाप॑श्च॒न प्र मि॑नन्ति व्र॒तं वा॑म् । अच्छे॑न्द्राब्रह्मणस्पती ह॒विर्नोऽन्नं॒ युजे॑व वा॒जिना॑ जिगातम् ॥ (१२)
हे धनस्वामी इंद्र एवं बृहस्पति! तुम्हारी सभी स्तुतियां सत्य हैं. तुम्हारे व्रत को जल नष्ट नहीं कर सकता, रथ में जुते हुए घोड़े जिस प्रकार घास की ओर दौड़ते हैं, उसी प्रकार तुम हमारे हवि के सम्मुख आओ. (१२)
O Lord Indra and Jupiter! All your praises are true. Water cannot destroy your fast, just as the horses that are ploughing in the chariot run towards the grass, so come before our havi. (12)