हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.24.14

मंडल 2 → सूक्त 24 → श्लोक 14 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 24
ब्रह्म॑ण॒स्पते॑रभवद्यथाव॒शं स॒त्यो म॒न्युर्महि॒ कर्मा॑ करिष्य॒तः । यो गा उ॒दाज॒त्स दि॒वे वि चा॑भजन्म॒हीव॑ री॒तिः शव॑सासर॒त्पृथ॑क् ॥ (१४)
महान्‌ कर्म करने वाले ब्रह्मणस्पति का मंत्र उनकी इच्छा के अनुसार सत्य होता है. उन्होंने गायों को बाहर करके आकाश का विभाग किया है. जिस प्रकार नदियों का जल विभिन्न धाराओं में नीचे की ओर बहता है, उसी प्रकार गाएं अपनी शक्ति के अनुसार विभिन्न देवों के घर गई. (१४)
The mantra of Brahmaspati, who performs great deeds, is true according to his will. He has done the department of the sky by taking out the cows. Just as the water of the rivers flows downwards in different streams, in the same way the cows went to the houses of different gods according to their power. (14)