हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.24.3

मंडल 2 → सूक्त 24 → श्लोक 3 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 24
तद्दे॒वानां॑ दे॒वत॑माय॒ कर्त्व॒मश्र॑थ्नन्दृ॒ळ्हाव्र॑दन्त वीळि॒ता । उद्गा आ॑ज॒दभि॑न॒द्ब्रह्म॑णा व॒लमगू॑ह॒त्तमो॒ व्य॑चक्षय॒त्स्वः॑ ॥ (३)
इंद्रादि देवों में शरेष्ठ बृहस्पति के कर्म से दृढ़ पर्वत शिथिल हुए थे एवं स्थिर वृक्ष टूट गए थे. बृहस्पति ने गायों का उद्धार किया, मंत्र रूपी शक्ति द्वारा बल असुर को समाप्त किया एवं अंधकार को समाप्त करके सूर्य को प्रकाशित किया. (३)
In the Indradi devas, the strong mountains were relaxed by the karma of The Shareshtha Jupiter and the stable trees were broken. Jupiter saved the cows, abolished the asura by the power of the mantra and illuminated the sun by ending the darkness. (3)