हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.3.8

मंडल 2 → सूक्त 3 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 3
सर॑स्वती सा॒धय॑न्ती॒ धियं॑ न॒ इळा॑ दे॒वी भार॑ती वि॒श्वतू॑र्तिः । ति॒स्रो दे॒वीः स्व॒धया॑ ब॒र्हिरेदमच्छि॑द्रं पान्तु शर॒णं नि॒षद्य॑ ॥ (८)
हमारे यज्ञ को पूर्ण करने वाली सरस्वती, इला और सर्वत्र व्यापक भारतीये तीनों देवियां यज्ञशाला में निवास करें एवं हव्य पाने के लिए हमारे यज्ञ का निर्दोष रूप से पालन करें. (८)
Saraswati, Ila and the three indian goddesses who complete our yajna should reside in the yajnashala and follow our yajna innocently to get the havya. (8)