हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.3.9

मंडल 2 → सूक्त 3 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 3
पि॒शङ्ग॑रूपः सु॒भरो॑ वयो॒धाः श्रु॒ष्टी वी॒रो जा॑यते दे॒वका॑मः । प्र॒जां त्वष्टा॒ वि ष्य॑तु॒ नाभि॑म॒स्मे अथा॑ दे॒वाना॒मप्ये॑तु॒ पाथः॑ ॥ (९)
त्वष्टा की कृपा से हमारे घर में स्वर्ण के समान उज्ज्वल रंग वाला, शोभन यज्ञकर्ता, अन्नदाता, उन्नत गुणों वाला, वीर तथा देवों को चाहने वाला पुत्र जन्म ले. वह हमें कुल की रक्षा करने वाली संतान दे एवं हमारा अन्न देवों के पास जाए. (९)
By the grace of Tatvasha, let a son, bright as gold, adornment, a yajnakarta, an annadata, a man of advanced qualities, a hero and a son who loves gods, be born in our house. He will give us a child to protect the family and let our food go to the gods. (9)