हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.30.9

मंडल 2 → सूक्त 30 → श्लोक 9 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 30
यो नः॒ सनु॑त्य उ॒त वा॑ जिघ॒त्नुर॑भि॒ख्याय॒ तं ति॑गि॒तेन॑ विध्य । बृह॑स्पत॒ आयु॑धैर्जेषि॒ शत्रू॑न्द्रु॒हे रीष॑न्तं॒ परि॑ धेहि राजन् ॥ (९)
हे बृहस्पति! जो चोर छिपकर हमारी हत्या करना चाहता है, उसे खोजकर तीखे आयुधों से छिन्नभिन्न करो तथा अपने आयुधों से हमारे शत्रुओं को जीतो. हे राजन! द्रोहकारियों के ऊपर हिंसक वज्र चारों ओर से फेंको. (९)
O Jupiter! "The thief who wants to kill us in secret, find him and break him away from the sharp armaments and conquer our enemies with your weapons." O Rajan! Throw the violent thunderbolt from all around on the miscreants. (9)