हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.38.10

मंडल 2 → सूक्त 38 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 38
भगं॒ धियं॑ वा॒जय॑न्तः॒ पुरं॑धिं॒ नरा॒शंसो॒ ग्नास्पति॑र्नो अव्याः । आ॒ये वा॒मस्य॑ संग॒थे र॑यी॒णां प्रि॒या दे॒वस्य॑ सवि॒तुः स्या॑म ॥ (१०)
मनुष्यों द्वारा स्तुत्य एवं देवपत्नियों के रक्षक सविता हमारी रक्षा करें. हम भजनीय, ध्यान करने योग्य एवं परम बुद्धिमान्‌ सविता को अधिक बलवान्‌ बनाते हैं. हम धन एवं पशुओं के पाने और एकत्र करने के लिए सविता के प्रिय बनें. (१०)
May Savita, the protector of the gods and sisters, be protected by humans. We make the hymnic, meditative and supremely intelligent Savita more strong. Let us be savita's beloved for getting and collecting wealth and animals. (10)