हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 2.6.8

मंडल 2 → सूक्त 6 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 2)

ऋग्वेद: | सूक्त: 6
स वि॒द्वाँ आ च॑ पिप्रयो॒ यक्षि॑ चिकित्व आनु॒षक् । आ चा॒स्मिन्स॑त्सि ब॒र्हिषि॑ ॥ (८)
हे ज्ञानसंपन्न अग्नि! हमारी इच्छा सभी प्रकार से पूरी करो. हे चेतनायुक्त अग्नि! तुम क्रमानुसार देवों का यज्ञ करो एवं बिछे हुए कुशों पर बैठो. (८)
O agni full of knowledge! Fulfill our wishes in all ways. O agni of consciousness! You should perform yajna of the gods in order and sit on the clenched kushas. (8)