हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.11.4

मंडल 3 → सूक्त 11 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 11
अ॒ग्निं सू॒नुं सन॑श्रुतं॒ सह॑सो जा॒तवे॑दसम् । वह्निं॑ दे॒वा अ॑कृण्वत ॥ (४)
बल के पुत्र, सनातन रूप से प्रसिद्ध तथा जातवेद अग्नि को देवों ने हव्य ढोने वाला बनाया है. (४)
Son of the force, eternally famous and Jatveda Agni has been made a bearer of havya by the devas. (4)