हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.11.5

मंडल 3 → सूक्त 11 → श्लोक 5 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 11
अदा॑भ्यः पुरए॒ता वि॒शाम॒ग्निर्मानु॑षीणाम् । तूर्णी॒ रथः॒ सदा॒ नवः॑ ॥ (५)
मानवी प्रजाओं के अग्रगामी, शीघ्रता करने वाले, रथ के समान द्रव्य ढोने वाले एवं नित्य नवीन अग्नि का कोई तिरस्कार नहीं कर सकता. (५)
No one can despise the advancing, the quick-doers, the chariot-like, the constant new agni of the human beings. (5)