ऋग्वेद (मंडल 3)
अ॒भि प्रयां॑सि॒ वाह॑सा दा॒श्वाँ अ॑श्नोति॒ मर्त्यः॑ । क्षयं॑ पाव॒कशो॑चिषः ॥ (७)
हव्य देने वाला मनुष्य हव्यवहन करने वाले अग्नि की कृपा से समस्त अन्नों को प्राप्त करता है एवं पवित्र प्रकाश वाले अग्नि से घर पाता है. (७)
The man who gives the havan receives all the food by the grace of the agni that gives the havan and finds the house by the agni of the holy light. (7)