हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.24.4

मंडल 3 → सूक्त 24 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 24
अग्ने॒ विश्वे॑भिर॒ग्निभि॑र्दे॒वेभि॑र्महया॒ गिरः॑ । य॒ज्ञेषु॒ य उ॑ चा॒यवः॑ ॥ (४)
हे अग्नि! अपने पूजकों के यज्ञों में समस्त तेजस्वी अग्नियों के साथ स्तुति वचनों का आदर करो. (४)
O agni! Honor the words of praise with all the glorious agnis in the sacrifices of your worshipers. (4)