हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 3.58.8

मंडल 3 → सूक्त 58 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 3)

ऋग्वेद: | सूक्त: 58
अश्वि॑ना॒ परि॑ वा॒मिषः॑ पुरू॒चीरी॒युर्गी॒र्भिर्यत॑माना॒ अमृ॑ध्राः । रथो॑ ह वामृत॒जा अद्रि॑जूतः॒ परि॒ द्यावा॑पृथि॒वी या॑ति स॒द्यः ॥ (८)
हे अश्विनीकुमारो! बहुत से हविरूपी अन्न तुम्हारे समीप जाते हैं. तिरस्कारहीन एवं यज्ञकर्म में संलग्न स्तोता स्तुतियों द्वारा तुम्हारी सेवा करते हैं. स्तोताओं द्वारा खींचा गया वुम्हारा जल बरसाने वाला रथ धरती-आकाश के बीच में शीघ्र गमन करता है. (८)
O Ashwinikumaro! Many poisonous food goes near you. Undainful and engaged in yajnakarma, the stotas serve you through eulogies. The chariot that showers wumhara water drawn by the psalms moves quickly between the earth and the sky. (8)