हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.10.2

मंडल 4 → सूक्त 10 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 10
अधा॒ ह्य॑ग्ने॒ क्रतो॑र्भ॒द्रस्य॒ दक्ष॑स्य सा॒धोः । र॒थीरृ॒तस्य॑ बृह॒तो ब॒भूथ॑ ॥ (२)
हे अग्नि! तुम इसी समय हमारे भद्र, बढ़े हुए, मनचाहे फल देने वाले, सत्य एवं महान्‌ यज्ञ के नेता हो. (२)
O agni! You are at this time the leader of our gentle, grown,desired fruit-giver, the leader of the truth and the great yajna. (2)