हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.10.8

मंडल 4 → सूक्त 10 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 10
शि॒वा नः॑ स॒ख्या सन्तु॑ भ्रा॒त्राग्ने॑ दे॒वेषु॑ यु॒ष्मे । सा नो॒ नाभिः॒ सद॑ने॒ सस्मि॒न्नूध॑न् ॥ (८)
हे द्योतमान अग्नि! तुम्हारे प्रति हमारी मित्रता एवं बंधुत्व भाव कल्याणकारी हो. यह भावना देवस्थानों एवं समस्त यज्ञों में हमारा आधार हो. (८)
O agni! May our friendship and fraternity towards you be beneficial. May this spirit be our basis in the devasthans and all the yagnas. (8)