ऋग्वेद (मंडल 4)
ऊ॒र्ध्वं भा॒नुं स॑वि॒ता दे॒वो अ॑श्रेद्द्र॒प्सं दवि॑ध्वद्गवि॒षो न सत्वा॑ । अनु॑ व्र॒तं वरु॑णो यन्ति मि॒त्रो यत्सूर्यं॑ दि॒व्या॑रो॒हय॑न्ति ॥ (२)
सविता देव ऊपर जाने वाली किरणों का सहारा लेते हैं. किरणें जब सूर्य को आकाश पर चढ़ाती हैं, तब वरुण, मित्र एवं अन्य देव अपने कर्म इस प्रकार प्रारंभ करते हैं, जैसे धूल उड़ाता हुआ बैल गायों के पीछे चलता है. (२)
Savita Dev resorts to the rays that go up. When the rays raise the sun to the sky, Varuna, friends and other gods begin their deeds as a dust-blowing bull walks behind the cows. (2)