हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.19.7

मंडल 4 → सूक्त 19 → श्लोक 7 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 19
प्राग्रुवो॑ नभ॒न्वो॒३॒॑ न वक्वा॑ ध्व॒स्रा अ॑पिन्वद्युव॒तीरृ॑त॒ज्ञाः । धन्वा॒न्यज्रा॑ँ अपृणक्तृषा॒णाँ अधो॒गिन्द्रः॑ स्त॒र्यो॒३॒॑ दंसु॑पत्नीः ॥ (७)
इंद्र जिस प्रकार अपनी शन्रुनाशक सेना को पूर्ण करते हैं, उसी प्रकार इन्होंने किनारों को तोड़ने वाली, जल से भरी हुई एवं अन्न पैदा करने में सहायक नदियों को पूर्ण किया था एवं प्यासे लोगों की प्यास बुझाई थी, इंद्र ने ऐसी गायों का दूध काढ़ा, जिन पर राक्षसों ने अधिकार कर लिया था तथा जो बछड़ा पैदा कर चुकी थीं. (७)
Just as Indra completes his shanrustic army, so he had completed the rivers that broke the banks, filled with water and the tributaries in the production of food and quenched the thirst of the thirsty, Indra made milk of cows that were captured by the demons and which had produced the calf. (7)