हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.19.8

मंडल 4 → सूक्त 19 → श्लोक 8 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 19
पू॒र्वीरु॒षसः॑ श॒रद॑श्च गू॒र्ता वृ॒त्रं ज॑घ॒न्वाँ अ॑सृज॒द्वि सिन्धू॑न् । परि॑ष्ठिता अतृणद्बद्बधा॒नाः सी॒रा इन्द्रः॒ स्रवि॑तवे पृथि॒व्या ॥ (८)
इंद्र ने वत्र राक्षस को मारकर अंधकार द्वारा लिपटी हुई अनेक उषाओं एवं संवत्सरों को उसके बंधन से छुड़ाया था. इसके साथ ही वृत्र द्वारा रोके हुए जल को प्रवाहित किया था. इंद्र ने मेघ के चारों ओर स्थित एवं वृत्र राक्षस द्वारा रोकी गई नदियों को धरती के ऊपर बहने योग्य बनाया. (८)
Indra had killed the demon Vatra and freed many ushas and samvatsars, wrapped in darkness, from his bondage. At the same time, the water withheld by the vitter was flown. Indra made the rivers located around the cloud and stopped by the demon Vritra worthy of flowing above the earth. (8)