ऋग्वेद (मंडल 4)
तमिन्नरो॒ वि ह्व॑यन्ते समी॒के रि॑रि॒क्वांस॑स्त॒न्वः॑ कृण्वत॒ त्राम् । मि॒थो यत्त्या॒गमु॒भया॑सो॒ अग्म॒न्नर॑स्तो॒कस्य॒ तन॑यस्य सा॒तौ ॥ (३)
मनुष्य युद्ध में इंद्र को ही बुलाते हैं. यजमान तपस्या द्वारा अपने शरीरों को क्षीण बनाकर इंद्र को ही अपना रक्षक नियुक्त करते हैं. यजमान और स्तुतिकर्ता मिलकर पुत्र और पौत्र पाने के लिए उन्हीं दाता इंद्र का सहारा लेते हैं. (३)
Humans call Indra in war. The hosts make their bodies weak by tapasya and appoint Indra as their protector. The host and the praiseor together resort to the same giver Indra to get a son and grandson. (3)