हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 4.31.2

मंडल 4 → सूक्त 31 → श्लोक 2 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 4)

ऋग्वेद: | सूक्त: 31
कस्त्वा॑ स॒त्यो मदा॑नां॒ मंहि॑ष्ठो मत्स॒दन्ध॑सः । दृ॒ळ्हा चि॑दा॒रुजे॒ वसु॑ ॥ (२)
हे इंद्र! पूजनीय, सत्य एवं अतिशय मदकारक कौन सा सोमरस तुम्हें शन्रुओं का धन नष्ट करने के लिए प्रमुदित करेगा? (२)
O Indra! Which somras will make you happy to destroy the wealth of the Shanrus, the revered, the truth, and the most powerful? (2)