ऋग्वेद (मंडल 5)
अग्न॒ ओजि॑ष्ठ॒मा भ॑र द्यु॒म्नम॒स्मभ्य॑मध्रिगो । प्र नो॑ रा॒या परी॑णसा॒ रत्सि॒ वाजा॑य॒ पन्था॑म् ॥ (१)
हे अबाध गति वाले अग्नि! तुम हमारे लिए सबसे उत्तम धन लाओ. हमें सर्वत्र व्याप्त धन से मिलाओ एवं हमारे लिए अन्न पाने का मार्ग बनाओ. (१)
O agni of uninterrupted speed! You bring us the best money. Meet us with the wealth everywhere and make a way for us to find food. (1)