हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.41.19

मंडल 5 → सूक्त 41 → श्लोक 19 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 41
अ॒भि न॒ इळा॑ यू॒थस्य॑ मा॒ता स्मन्न॒दीभि॑रु॒र्वशी॑ वा गृणातु । उ॒र्वशी॑ वा बृहद्दि॒वा गृ॑णा॒नाभ्यू॑र्ण्वा॒ना प्र॑भृ॒थस्या॒योः ॥ (१९)
गायों के समूह का निर्माण करने वाली इड़ा एवं उर्वशी सब नदियों के साथ मिलकर हम पर अनुग्रह करें. परम दीप्तिशाली उर्वशी शब्द करती हुई हमारे यज्ञ की प्रशंसा करती है एवं यजमानों को अपने प्रकाश से ढकती है. (१९)
May Ida and Urvashi, who form a group of cows, join hands with all the rivers and have mercy on us. The most radiant Urvashi praises our yajna by saying the words and covers the hosts with her light. (19)