हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.52.14

मंडल 5 → सूक्त 52 → श्लोक 14 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 52
अच्छ॑ ऋषे॒ मारु॑तं ग॒णं दा॒ना मि॒त्रं न यो॒षणा॑ । दि॒वो वा॑ धृष्णव॒ ओज॑सा स्तु॒ता धी॒भिरि॑षण्यत ॥ (१४)
हे ऋषि! तुम हव्य देते हुए एवं स्तुतियां करते हुए मरुतों के समीप आदित्य के समान जाओ. हे शक्ति द्वारा शत्रुओं को हराने वाले मरुतो! तुम हमारी स्तुतियां सुनकर स्वर्गलोक से हमारे यज्ञ में आओ. (१४)
O sage! You go to the maruts like Aditya, giving greetings and praising them. O Maruto who defeats enemies by power! You hear our praises and come to our yajna from paradise. (14)