ऋग्वेद (मंडल 5)
नू म॑न्वा॒न ए॑षां दे॒वाँ अच्छा॒ न व॒क्षणा॑ । दा॒ना स॑चेत सू॒रिभि॒र्याम॑श्रुतेभिर॒ञ्जिभिः॑ ॥ (१५)
स्तोता मरुतों को स्तुति द्वारा शीघ्र प्राप्त करके अन्य देवों को पाने की अभिलाषा नहीं करते. वे ज्ञानी, शीघ्रगतिशील के रूप में प्रसिद्ध एवं फल देने वाले मरुतों से दान पाते हैं. (१५)
The Stotas do not wish to receive the Marutas quickly by praising them and get to other gods. They are known as wise, fast-paced and receive donations from fruit-bearing maruts. (15)