हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.6.4

मंडल 5 → सूक्त 6 → श्लोक 4 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 6
आ ते॑ अग्न इधीमहि द्यु॒मन्तं॑ देवा॒जर॑म् । यद्ध॒ स्या ते॒ पनी॑यसी स॒मिद्दी॒दय॑ति॒ द्यवीषं॑ स्तो॒तृभ्य॒ आ भ॑र ॥ (४)
हे दीप्तिशाली एवं जलरहित अग्नि! हम तुम्हें सभी प्रकार से प्रज्वलित करते हैं. तुम्हारी स्तुति के योग्य दीप्ति स्वर्ग में प्रकाशित होती है. हे अग्नि! तुम स्तुति करने वालों के लिए अन्न लाओ. (४)
O glorious and waterless agni! We kindle you in all ways. The worthy glory of your praise is illuminated in heaven. O agni! Bring food for those who praise you. (4)