हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.65.6

मंडल 5 → सूक्त 65 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 65
यु॒वं मि॑त्रे॒मं जनं॒ यत॑थः॒ सं च॑ नयथः । मा म॒घोनः॒ परि॑ ख्यतं॒ मो अ॒स्माक॒मृषी॑णां गोपी॒थे न॑ उरुष्यतम् ॥ (६)
हे मित्र व वरुण! तुम मुझ स्तोता के पास आकर मेरी इच्छा पूरी करो. मुझ हव्य धारण करने वाले का तुम त्याग न करना एवं हम ऋषियों तथा पुत्रों को मत छोड़ना. सोमयज्ञ में हमारी रक्षा करना. (६)
Oh my friend and Varun! Come to my stota and fulfill my wish. Do not forsake the one who holds me, and do not forsake us sages and sons. Protecting us in somayagna. (6)