हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 5.73.6

मंडल 5 → सूक्त 73 → श्लोक 6 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 5)

ऋग्वेद: | सूक्त: 73
यु॒वोरत्रि॑श्चिकेतति॒ नरा॑ सु॒म्नेन॒ चेत॑सा । घ॒र्मं यद्वा॑मरे॒पसं॒ नास॑त्या॒स्ना भु॑र॒ण्यति॑ ॥ (६)
हे नेता अश्चिनीकुमारो! हमारे पिता अत्रि ने आग बुझ जाने के सुख से कृतज्ञमन होकर तुम दोनों की स्तुति की थी. तुम्हारे स्तोत्र द्वारा उन्होंने उस अग्नि को सुखकर समझा, जो असुरों ने उन्हें जलाने को लगाई थी. (६)
O leader Aschinikumaro! Our father, Atri, was grateful to the joy of extinguishing the agni and praised both of you. Through your hymns, they understood the agni that the asuras had set them to burn. (6)