ऋग्वेद (मंडल 6)
गन्तेया॑न्ति॒ सव॑ना॒ हरि॑भ्यां ब॒भ्रिर्वज्रं॑ प॒पिः सोमं॑ द॒दिर्गाः । कर्ता॑ वी॒रं नर्यं॒ सर्व॑वीरं॒ श्रोता॒ हवं॑ गृण॒तः स्तोम॑वाहाः ॥ (४)
वज्र धारण करने वाले, सोमरस पीने वाले, गाएं देने वाले, मानव हितकारी एवं अनेक पुत्रों से युक्त पुत्र देने वाले, स्तोता की स्तुतियां सुनने वाले एवं स्तोत्रों द्वारा सेवनीय इंद्र इन तीनों सवनों में अपने घोड़ों की सहायता से जाते है. (४)
Indra, who wears thunderbolts, drinks somras, sings, human-benefactors and gives sons with many sons, listens to the praises of the hymns and is consumed by the stotras, Indra goes to these three sawans with the help of his horses. (4)