हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.1.20

मंडल 7 → सूक्त 1 → श्लोक 20 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 1
नू मे॒ ब्रह्मा॑ण्यग्न॒ उच्छ॑शाधि॒ त्वं दे॑व म॒घव॑द्भ्यः सुषूदः । रा॒तौ स्या॑मो॒भया॑स॒ आ ते॑ यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभिः॒ सदा॑ नः ॥ (२०)
हे अग्नि! मेरे लिए अन्नों को विशेषरूप से शुद्ध करना. हे देव! हम हव्ययुक्तों को तुम अन्न दो. हम यजमान और स्तोता दोनों तुम्हारे दान के पात्र बनें. तुम सदा कल्याणों द्वारा हमारा पालन करो. (२०)
O agni! To purify the grains especially for me. Oh, God! We give you food to the people. Let us host and stota both be eligible for your donation. You always follow us by welfares. (20)