हरि ॐ

ऋग्वेद (Rigved)

ऋग्वेद 7.21.10

मंडल 7 → सूक्त 21 → श्लोक 10 - संस्कृत मंत्र, हिंदी अर्थ और English translation

ऋग्वेद (मंडल 7)

ऋग्वेद: | सूक्त: 21
स न॑ इन्द्र॒ त्वय॑ताया इ॒षे धा॒स्त्मना॑ च॒ ये म॒घवा॑नो जु॒नन्ति॑ । वस्वी॒ षु ते॑ जरि॒त्रे अ॑स्तु श॒क्तिर्यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभिः॒ सदा॑ नः ॥ (१०)
हे इंद्र! अपने दिए हुए अन्न का उपभोग करने के लिए हमारी रक्षा करो. जो लोग अपने आप तुम्हें हव्य देते हैं, उनकी भी रक्षा करो. तुम्हारे स्तोता मुझ में तुम्हारी प्रशंसनीय स्तुतियां करने की शक्ति हो. तुम कल्याणसाधनों द्वारा हमारी सदा रक्षा करो. (१०)
O Indra! Protect us to consume your given food. Those who give themselves a tribute to you, protect them too. May your stota have the power in me to praise you admirable. You always protect us by means of welfare. (10)